UP School Merger Latest News: प्राथमिक स्कूलों के विलय को लेकर बड़ी खबर, हाईकोर्ट का बड़ा फैसला विलय का रास्ता साफ

UP School Merger Latest News : उत्तर प्रदेश सरकार ने शिक्षा प्रणाली को “अधिक कार्यात्मक और व्यवहारिक” बनाने के उद्देश्य से महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। इस योजना के तहत, 50 से कम छात्रों वाले स्कूलों को निकटवर्ती स्कूलों की शैक्षिक सुविधाओं के साथ विलय करने का निर्णय लिया गया है। इस एकीकरण के तहत, उन स्कूलों के छात्रों की निरंतर शिक्षा सुनिश्चित करने की प्रक्रिया को प्राथमिकता दी जाएगी। सरकार का मानना है कि छोटे स्कूलों में संसाधनों की कमी और शैक्षिक गुणवत्ता में अंतर के चलते छात्रों का विकास प्रभावित हो रहा है। इस योजना का उद्देश्य है कि छात्रों को अच्छी सुविधाएं, जैसे योग्य शिक्षक और बेहतर शिक्षण सामग्री, उपलब्ध कराई जा सके। यह निर्णय शिक्षा के क्षेत्र में गुणवत्ता को बढ़ाने और छात्रों को एक स्थिर और सशक्त शिक्षा प्रणाली प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। अब इस पर हाई कोर्ट से सरकार को बड़ी राहत मिली है। आइये पूरी खबर क्या है जानते हैं।

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ से स्कूलों के विलय के विषय में राज्य सरकार को महत्वपूर्ण राहत प्राप्त हुई है। कोर्ट ने प्राथमिक स्कूलों के विलय के आदेश को चुनौती देने वाली दोनों याचिकाओं को सोमवार को अस्वीकृत कर दिया। न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की एकल पीठ ने सीतापुर के प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में अध्ययन कर रहे 51 बच्चों समेत एक अन्य याचिका पर यह निर्णय सुनाया। इसमें बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा बीती 16 जून को जारी उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसके अंतर्गत प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों के छात्रों की संख्या के आधार पर उच्च प्राथमिक या समग्र स्कूलों में विलय करने का प्रावधान किया गया है।

बच्चों के मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन करने वाला आदेश

याचिकाकर्ताओं ने इसे मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा कानून के प्रावधानों का अतिक्रमण करने वाला बताया। साथ ही, उन्होंने विलय के चलते छोटे बच्चों के स्कूल दूर जाने की समस्याओं पर भी ध्यान दिया। याचिकाकर्ताओं ने विशेष रूप से तर्क दिया कि स्कूलों को विलय करने का सरकार का आदेश, 6 से 14 साल के बच्चों के मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन करने वाला है।

वहीं, राज्य सरकार की ओर से याचिकाओं का विरोध करते हुए मुख्य तर्क दिया गया कि विलय की प्रक्रिया, संसाधनों के बेहतर इस्तेमाल के लिए बच्चों के हित में की जा रही है। सरकार ने ऐसे 18 प्राथमिक स्कूलों का उदाहरण दिया था, जिनमें एक भी छात्र नहीं है।

शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के दृष्टिकोण से लिया गया निर्णय

सरकार ने बताया कि ऐसे स्कूलों का नजदीकी स्कूलों में विलय करके शिक्षकों और अन्य सुविधाओं का बेहतर उपयोग किया जाएगा। सरकार ने पूरी तरह से शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के मकसद से इन विद्यालयों के विलय का निर्णय लिया। कोर्ट ने बीते शुक्रवार को सुनवाई के बाद में अपना निर्णय सुरक्षित रखा था, जिसे सोमवार की दोपहर में सुनाया गया।

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