UP Board Fee Hike उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद (UP Board) के तहत पढ़ाई कर रहे लाखों छात्रों और उनके अभिभावकों के लिए एक बड़ी खबर सामने आई है। यूपी सरकार ने राजकीय और सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में कक्षा 9 से 12 तक की फीस में भारी बढ़ोतरी की है। यह बढ़ी हुई फीस राज्यपाल की मंजूरी के बाद तत्काल प्रभाव से लागू कर दी गई ह, जिससे आम अभिभावकों पर आर्थिक बोझ बढ़ने की आशंका जताई जा रही है।
UP Board Fee Hike News: कक्षा 9 से 12 के छात्रों की फीस 200% तक बड़ाई गई
जानकारी के मुताबिक, हाई स्कूल (कक्षा 10) की परीक्षा फीस ₹80 से बढ़ाकर ₹500 कर दी गई है, वहीं इंटरमीडिएट (कक्षा 12) की परीक्षा फीस ₹90 से बढ़ाकर ₹600 कर दी गई है। यह वृद्धि करीब 180% से 200% तक की है, जो अब तक की सबसे बड़ी बढ़ोतरी मानी जा रही है। कक्षा 9 और 11 के छात्रों की फीस में भी इसी अनुपात में बढ़ोतरी की गई है। सरकार का कहना है कि यह फैसला शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार और स्कूलों में बेहतर सुविधाएं मुहैया कराने के उद्देश्य से लिया गया है। शिक्षा विभाग के एक अधिकारी के अनुसार, “परीक्षा संचालन, कॉपी मूल्यांकन, और प्रशासनिक खर्चों में लगातार इजाफा हो रहा है। ऐसे में पुरानी फीस दरें इस लागत को पूरा करने में सक्षम नहीं थीं।”
फीस बढ़ाने को लेकर छात्रों और अभिभावकों में नाराजगी
फीस में इस भारी बढ़ोतरी को लेकर छात्रों और उनके अभिभावकों में नाराजगी देखी जा रही है। एक छात्रा की माँ, रीता देवी का कहना है, “हम ग्रामीण क्षेत्र से हैं और सीमित आमदनी में बच्चों की पढ़ाई चला रहे हैं। अब सरकार ने फीस अचानक इतनी बढ़ा दी है कि चिंता बढ़ गई है।” वहीं कुछ छात्रों का कहना है कि इससे गरीब और निम्न आय वर्ग के छात्रों की पढ़ाई पर असर पड़ सकता है। विपक्षी दलों ने भी इस फैसले की आलोचना करते हुए इसे छात्रों के हितों के खिलाफ बताया है। समाजवादी पार्टी के एक नेता ने कहा, “सरकार गरीबों को शिक्षित करने की बात करती है और अब फीस में भारी बढ़ोतरी कर रही है, जो शिक्षा को आम जनता की पहुंच से दूर कर देगा।”
सरकार ने बताया क्यों बड़ाई गई फीस
हालांकि सरकार इसे शिक्षा सुधार की दिशा में एक कदम बता रही है, लेकिन सवाल उठ रहे हैं कि क्या इस प्रकार की फीस वृद्धि वास्तव में छात्रों को बेहतर सुविधाएं दे पाएगी, या फिर यह केवल एक अतिरिक्त आर्थिक बोझ बनकर रह जाएगी? यूपी बोर्ड फीस में यह अप्रत्याशित बढ़ोतरी एक महत्वपूर्ण मुद्दा बनकर सामने आया है। एक ओर सरकार इसे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की दिशा में उठाया गया कदम बता रही है, वहीं दूसरी ओर आम जनता इसे अपने बजट पर अतिरिक्त दबाव मान रही है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इस फैसले से जुड़े नतीजों को कैसे संभालती है और क्या वास्तव में इससे शिक्षा व्यवस्था में सुधार होता है।