Outsource Employee News : संविदा आउटसोर्सिंग कर्मचारियों की हाल ही में हुई पदोन्नति नियमों के खिलाफ सपाक्स कर्मचारी संगठन और सामाजिक संस्थाओं ने एक गंभीर चेतावनी दी है कि वे न्यायालय का सहारा लेने के लिए तैयार हैं। नए नियमों को अस्वीकार करते हुए, ये संगठन मानते हैं कि पदोन्नति प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी है और इससे कर्मचारियों के अधिकारों का हनन हो रहा है। ऐसे में संविदा कर्मचारियों का हित सुरक्षित रखने के लिए कानूनी माध्यमों का उपयोग अनिवार्य हो सकता है, जिससे उनके न्याय की खोज को समर्थन मिले।
नए पदोन्नति नियमों के संदर्भ में सपाक्स कर्मचारी और सामाजिक संस्था ने न्यायालय जाने की खुली चेतावनी दे दी है। इसके पहले जिलों में सांसदों और विधायकों से संपर्क करेंगे। नियमों में मौजूद विसंगतियों के बारे में चर्चा करेंगे। यह चेतावनी नार्मदीय भवन में आयोजित सपाक्स अधिकारी कर्मचारी संस्था के राज्य स्तरीय अधिवेशन के निर्णय के बाद दी गई। कहा गया कि अधिकारियों ने 2019 की तरह की गलती करने का प्रयास किया है।
इस बैठक में सपाक्स संस्था के अध्यक्ष डॉ. केएस तोमर, सचिव राजीव खरे, सपाक्स समाज के अध्यक्ष केएल साहू, कर्मचारी नेता सुधीर नायक, उमाशंकर तिवारी, अजय जैन, आरबी राय, आलोक अग्रवाल, अनुराग श्रीवास्तव, डीके भदोरिया, रक्षा चौबे, राकेश नायक, आशीष भटनागर और विभिन्न जिलों से आए पदाधिकारी एवं सदस्य उपस्थित थे।
ये मांगें भी उठाई गईं
- सामान्य, पिछड़ा एवं अल्पसंख्यक वर्ग के अधिकारियों-कर्मचारियों के हक में आवाज उठाना। प्रशासकीय क्रियाविधियों में सहायता करना।
- आरक्षण का आधार जातिगत होने के बजाय आर्थिक होना चाहिए। अजा-अजजा के लिए भी क्रीमी लेयर का प्रावधान हो।
- अनारक्षित वर्ग के खाली 2.50 लाख पदों पर भर्ती के लिए इन प्रतिबंधों को हटाकर युवाओं को रोजगार देने के अवसर उपलब्ध कराए जाएं।
- एट्रोसिटी अधिनियम में संशोधन किया जाए। बिना उचित जांच के किसी व्यक्ति पर मामला दर्ज नहीं होना चाहिए।
- संविदा और आउटसोर्सिंग को पूरी तरह समाप्त कर नियमित नौकरियों का प्रावधान किया जाए।
इन बिंदुओं पर आपत्ति
- पदोन्नति 2016 से नहीं की गई है, फिर भी 2025 से दी जा रही है। 2016 से लेकर अब तक हुए नुकसान की भरपाई का कोई प्रावधान नहीं किया गया।
- आरक्षित वर्ग के उन कर्मचारियों और अधिकारियों को पुनः पदोन्नति दी जा रही है, जिन्हें उच्च न्यायालय ने 2006 में पदावनत करने का आदेश दिया था।
- शासन की लंबित याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय ने यथास्थिति के आदेश दिए थे। इस पर आरक्षित वर्ग के कर्मियों को पदावनत नहीं किया गया। इसी आधार पर उनकी पदोन्नति भी नहीं हो सकती, लेकिन इसकी व्यवस्था कर दी गई।
- सर्वोच्च न्यायालय के अनुसार आरक्षित वर्ग पर लागू होने वाले क्रीमी लेयर का कोई प्रावधान नहीं रखा गया।
- बैकलॉग के रिक्त पद भरने के लिए कोई समय सीमा निर्धारित नहीं की गई है। इससे अनारक्षित वर्ग को नुकसान होगा।
- अनारक्षित पदों में आरक्षित वर्ग के किसी भी कर्मचारी की पदोन्नति नहीं होनी चाहिए, क्योंकि वह पहले से ही आरक्षण का लाभ लेकर पदस्थ है।
प्रभार तिथि से मिल रही पदोन्नति: विधानसभा सचिवालय के कर्मचारी उच्च पद पर प्रभार मिलने के दिनांक से वरिष्ठता की मांग कर रहे हैं। मध्यप्रदेश विधानसभा सचिवालय अधिकारी कर्मचारी संघ के संरक्षक रामनारायण आचार्य ने जानकारी दी कि सोमवार को संगठन की बैठक बुलाई गई है, जिसमें आगे की रणनीति निर्धारित की जाएगी।