
सरकारी कॉलेजों में शिक्षकों और प्रोफेसरों की उपस्थिति को लेकर एक नया नियम लागू किय गया है, जिसके अंतर्गत ड्यूटी के दौरान उनकी अनुपस्थिति को रोकने के लिए डिजिटल अटेंडेंस सिस्टम को अनिवार्य किया गया है। इस पहल का मकसद शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारना और शिक्षकों की जिम्मेदारी बढ़ाना है। उच्च शिक्षा विभाग ने यह निर्णय लिया है कि यदि कोई शिक्षक या प्रोफेसर ड्यूटी के दौरान अनुपस्थित होता है, तो उसकी सूचना तुरंत मिल जाएगी। इससे न केवल शिक्षकों की जवाबदेही बढ़ेगी, बल्कि छात्रों और अभिभावकों में भरोसा भी मजबूत होगा। डिजिटल अटेंडेंस सिस्टम से अब शिक्षकों की ड्यूटी की पाबंदी सुनिश्चित हो सकेगी, जो समग्र शिक्षा प्रणाली के लिए एक सकारात्मक कदम है।
शिक्षकों को लेकर ये नया आदेश जारी
हाल ही में मध्य प्रदेश के सरकारी कॉलेजों में शिक्षकों, प्रोफेसरों, लाइब्रेरियन, खेल अधिकारियों और अतिथि विद्वानों के लिए नए नियम लागू किए गए हैं, जिसमें न्यूनतम 6 घंटे की उपस्थिति को अनिवार्य किया गया है। यह नियम अनुशासन और जवाबदेही को बढ़ावा देने के उद्देश्य से तैयार किया गया है। आदेश के अनुसार, यदि कोई प्रोफेसर या शिक्षक अपनी ड्यूटी के दौरान कहीं भी जाते हैं, तो उनके वेतन में कटौती की जाएगी। इस निर्णय के पीछे उच्च शिक्षा विभाग का मानना है कि इससे कॉलेज के कार्यों में प्रगति आएगी और शिक्षकों की जिम्मेदारी को बढ़ाया जाएगा।
डिजिटल अटेंडेंस अनिवार्य
इसके साथ ही, उच्च शिक्षा विभाग ने सरकारी कॉलेजों में डिजिटल अटेंडेंस को भी लागू करने का आदेश दिया है। यह सुनिश्चित करेगा कि सभी शिक्षकों, खेल अधिकारियों, लाइब्रेरियनों और अतिथि विद्वानों के पास अपनी उपस्थिति को सही ढंग से दर्ज कराने का एक पारदर्शी तरीका हो। नए नियमों के तहत, सभी संबंधित व्यक्तियों को कॉलेज में 6 घंटे की अनिवार्य उपस्थिति निर्धारित करना होगा, जिसमें आने और जाने का समय भी शामिल है। यह प्रयास न केवल अनुशासन को मजबूत करेगा, बल्कि शिक्षा प्रणाली में एक नई कार्य कुशलता भी लाएगा। इस प्रकार, यह कदम मध्य प्रदेश के उच्च शिक्षा क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण बदलाव साबित हो सकता है।