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MP Promotion Rules: मध्य प्रदेश कर्मचारियों को सरकार का तोहफा, पदोन्नति में आरक्षण हेतु नए नियम जारी किए

MP Promotion Rules : मध्यप्रदेश सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के लिए पदोन्नति में आरक्षण से संबंधित नए नियमों को लागू किया है। इन नियमों का मुख्य उद्देश्य कर्मचारियों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार लाना है। इससे अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़े वर्गों के कर्मचारियों को पदोन्नति में विशेष लाभ मिलेगा। यह निर्णय शासन के प्रति अधिक समानता और न्याय सुनिश्चित करने के लिए है। नए नियमों से योग्य कर्मचारियों को उनके कार्य अनुभव और दक्षता के आधार पर पदोन्नति हासिल करने में मदद मिलेगी। आइये पूरी खबर क्या है लेख में दी जा रही है।

मध्य प्रदेश कर्मचारियों के पदोन्नति में आरक्षण हेतु नए नियम

पदोन्नति नियम-2025 में अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) वर्ग के लिए आरक्षण का प्रावधान किया गया है, लेकिन यह आरक्षण स्थायी नहीं रहेगा। प्रत्येक संवर्ग में प्रतिनिधित्व और प्रशासनिक दक्षता के आधार पर इसे हर पांच साल में निर्धारित किया जाएगा। यदि किसी वर्ग में प्रतिनिधित्व आरक्षण की सीमाओं से अधिक हो जाता है, तो इसे कम किया जा सकता है। इस प्रक्रिया का निर्धारण मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली एक समिति करेगी।

इस नियम में एससी-एसटी वर्ग के लिए आरक्षित पदों की संख्या का लेखा-जोखा रखने का प्रावधान भी किया गया है। पदोन्नति के लिए एससी के लिए 16 प्रतिशत और एसटी के लिए 20 प्रतिशत पद आरक्षित रहेंगे। यह सुनिश्चित करने के लिए कि प्रतिनिधित्व सही हो, विभागीय पदोन्नति समिति की बैठक से पहले आरक्षित वर्ग के अधिकारियों और कर्मचारियों के पदों की गणना की जाएगी। इस गणना के लिए एक समिति बनाई जाएगी जिसमें विभागीय मंत्री, विभागाध्यक्ष और सामान्य प्रशासन विभाग के उप सचिव स्तर के अधिकारी शामिल होंगे, और एक सदस्य अनिवार्य रूप से एससी-एसटी वर्ग से होना चाहिए।

यदि किसी संवर्ग में कोई विशेष परिस्थिति नहीं है, तो एससी-एसटी के लिए आरक्षण 36 प्रतिशत रहेगा। अगर किसी विभाग को यह लगता है कि प्रतिनिधित्व और प्रशासनिक दक्षता के आधार पर आरक्षण कम करने की आवश्यकता है, तो यह निर्णय मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली समिति की मंजूरी से ही लिया जा सकेगा।

एक बार आरक्षण निर्धारित होने के बाद, वह पांच वर्षों तक लागू रहेगा। उसके बाद पुन: आकलन करके इसे परिवर्तित किया जा सकेगा। इस विधि को इसलिए अपनाया गया है क्योंकि उच्च न्यायालय ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के आधार पर कहा था कि आरक्षण के लिए प्रतिनिधित्व और प्रशासनिक दक्षता को ध्यान में रखा जाए। यह नियम एक संतुलित और न्यायसंगत दृष्टिकोण सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहा है, जिससे सभी समुदायों का समान प्रतिनिधित्व संभव हो सके।

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