MP Govt Employee Promotion News : मध्यप्रदेश में प्रस्तुत पदोन्नति नीति को लेकर हाल ही में बड़े विवाद उत्पन्न हुए हैं। विशेषकर अधीनस्थ कर्मचारियों को प्रमोशन मिलने के बाद उन्हें ‘प्रभारी’ के रूप में कार्य करना होगा, जिससे उनकी कार्य क्षमता पर प्रभाव पड़ सकता है। यह स्थिति विशेष रूप से तब महत्वपूर्ण हो जाती है जब कर्मचारियों ने पदोन्नति में आरक्षण और प्रक्रिया को लेकर विरोध उठाया है। कई कर्मचारी संगठनों ने इस नीति में खामियों की ओर ध्यान आकर्षित किया है, जो प्रमोशन की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर सवाल उठाते हैं। इस विषय पर न केवल कर्मचारियों, बल्कि राजनीतिक दलों का ध्यान भी आकर्षित हुआ है, जिससे स्थिति और भी जटिल हो गई है। आइये पदोन्नति को लेकर कर्मचारियों के लिए क्या महत्वपूर्ण खबर है इस लेख के माध्यम से सब कुछ बताते हैं।
मध्यप्रदेश में पदोन्नति में आरक्षण और प्रक्रिया को लेकर लगातार विरोध के स्वर सामने आ रहे हैं। अब कर्मचारी संगठनों ने एक और बड़ी पदोन्नति नीति में कमी को उजागर किया है। मामला प्रभारी पद से संबंध रखता है। दरअसल, जब प्रदेश में नौ साल से पदोन्नति नहीं हो रही थी, तब तत्कालीन शिवराज सरकार ने प्रभारी पद देकर अधिकारियों और कर्मचारियों को जिम्मेदारी सौंपी। सरकार ने यह कदम इसलिए उठाया ताकि कामकाज में बाधा न आए।
कर्मचारी संगठनों का आरोप है कि अब प्रमोशन पाने वाला अधिकारी या कर्मचारी वर्तमान में प्रभारी पद पर कार्यरत लोगों के लिए समस्या बनेगा। नीति की अस्पष्टता के कारण प्रभारी पद पर कार्यरत लाखों कर्मचारी-अधिकारी मानसिक और सामाजिक रूप से प्रताड़ित होंगे। इसके साथ ही ऐसी स्थिति भी लगभग सभी विभागों में उत्पन्न होगी जहां सीनियर अधिकारी को पदोन्नति पाने वाले जुनियर के अधीन कार्य करना पड़ेगा।
मामले पर प्रदेश शासकीय कर्मचारियों के सबसे बड़े संगठन तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के महामंत्री उमाशंकर तिवारी ने कहा कि पिछले 9 वर्षों से प्रमोशन न होने के कारण कार्यों में बाधा उत्पन्न हो रही थी। सेवानिवृत्ति की वजह से पद खाली हो रहे थे। तब पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रभारी के रूप में कार्यभार देकर इस समस्या का समाधान निकाला था। सभी विभागों में प्रभारी बनाए गए थे, और यह प्रभार का पद भी संबंधित विभागों में वरिष्ठता के आधार पर दिया गया। प्रदेश में लाखों की संख्या में प्रभारी पद पर कर्मचारी-अधिकारी कार्यरत हैं।
अब पदोन्नति नियम लागू होने के बाद रोस्टर का उल्लंघन होगा। इसमें सामान्य वर्ग के कर्मचारी-अधिकारी सबसे अधिक प्रभावित होंगे। प्रमोशन के बाद अपने अधीनस्थ के अधीन प्रभारी पद पर बैठे वरिष्ठ को कार्य करना होगा। पहले से ही आर्थिक दृष्टि से नुकसान झेल रहे प्रभारी अधिकारी-कर्मचारी मानसिक रूप से पीड़ित होंगे और उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा भी कम होगी। सरकार के पदोन्नति नियम में सबसे बड़ी विसंगति है।
कांग्रेस: सरकार ने रोस्टर प्रणाली खत्म की
मामले पर कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता सीताशरण सूर्यवंशी ने कहा कि यह एक गंभीर मामला है। पदोन्नति नीति में विसंगतियों के कारण कर्मचारी वर्ग में आक्रोश व्याप्त है और प्रदेश भर में आंदोलन भी हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार न तो संविधान का पालन करती है और न ही प्रावधानों का। रोस्टर प्रणाली को भी सरकार ने समाप्त किया है। पहले सरकारी कर्मचारी-अधिकारी वर्ग को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा और अब पद विसंगति की प्रताड़ना झेलना होगा। सरकार को इस विसंगति का खामियाजा चुनावों में भुगतना पड़ सकता है।
बीजेपी: प्रावधानों का पालन सभी को करना होगा
बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता अजय सिंह यादव ने दावा किया कि पदोन्नति नियम के कारण प्रभारी पद पर कार्यरत कर्मचारियों-अधिकारियों को किसी प्रकार की दिक्कत नहीं होगी। सभी को प्रावधानों का पालन करना होगा। प्रदेश में पांच लाख से अधिक कर्मचारी-अधिकारी पदोन्नति प्राप्त करेंगे। लंबे समय से पदोन्नति का यह उलझा मामला मोहन सरकार ने सुलझाया है। मामले पर राजनीति कर रही कांग्रेस ने सरकार में रहते हुए कभी भी कर्मचारियों-अधिकारियों के हित में कदम नहीं उठाए।