NTA NEET UG Re-Exam: NEET UG परीक्षा को लेकर हाल ही में एक महत्वपूर्ण घटना सामने आई है। कई अभ्यर्थियों ने याचिका दायर की है जिसमें उनका आरोप है कि परीक्षा के दौरान बिजली की समस्या के कारण कम रोशनी में उन्हें प्रश्नों के उत्तर लिखने में कठिनाई हुई। इस स्थिति के कारण, उन्होंने अदालत से अनुरोध किया है कि दोबारा परीक्षा कराई जाए। याचिका पर सुनवाई के दौरान, न्यायालय ने पहले परीक्षा परिणाम जारी करने पर रोक लगा दी थी, जो कि अभ्यर्थियों के लिए एक राहत की बात थी। हालांकि, एक दिन बाद ही न्यायालय ने अपने आदेश में संशोधन करते हुए इंदौर के 40 परीक्षा केंद्रों के परिणामों को रोकने का निर्देश दिया और अन्य सभी केंद्रों का परिणाम जारी करने का आदेश दिया। लेकिन अब नीट यूजी एग्जाम को लेकर मध्यप्रदेश हाई कोर्ट नया और बड़ा फैसला सामने आया है और कोर्ट ने पुनः परीक्षा कराने और जल्द से जल्द परिणाम जारी करने के आदेश एनटीए को दिए हैं।
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने एनटीए को निर्देश दिया है कि इंदौर के उन अभ्यर्थियों की नीट यूजी पुनः आयोजित की जाए, जिन्होंने तीन जून को उत्तरकुंजी जारी होने से पूर्व याचिका प्रस्तुत की थी। वकीलों के अनुसार ऐसे 75 अभ्यर्थी मौजूद हैं। कोर्ट ने एनटीए से यथाशीघ्र परीक्षा संपन्न कराने और परिणाम घोषित करने को कहा है। ध्यान देने योग्य है कि एनटीए ने चार मई को पूरे देश में नीट-यूजी का आयोजन किया था। इंदौर में इसके लिए 49 केंद्र स्थापित किए गए थे। परीक्षा के दिन इंदौर में भारी वर्षा होने के कारण 40 केंद्रों पर अव्यवस्था उजागर हुई।
परीक्षा परिणाम जारी करने पर कोर्ट ने रोक लगा दी थी।
अभ्यर्थियों ने याचिका प्रस्तुत करके कहा कि बिजली कटने से कम रोशनी के कारण वे प्रश्नों के उत्तर समय पर नहीं लिख सके। इसलिए पुनः परीक्षा आयोजित की जाए। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पहले परीक्षा परिणाम जारी करने पर रोक लगा दी थी, लेकिन एक दिन बाद ही आदेश संशोधित करते हुए इंदौर के 40 केंद्रों का परीक्षा परिणाम रोक कर शेष परिणाम जारी करने का निर्देश दिया था।
जानें कोर्ट ने क्या कहा?
सुनवाई के दौरान 23 जून को इस मामले में अंतिम बहस के बाद कोर्ट ने निर्णय सुरक्षित रख लिया था, जो सोमवार देर शाम प्रकाशित हुआ। कोर्ट ने माना कि गलती न होने के बावजूद अभ्यर्थी बिजली कटौती के कारण कठिनाईपूर्ण स्थिति में रहे, जबकि अन्य केंद्रों के अभ्यर्थी प्राकृतिक प्रकाश वाले स्थानों पर उपस्थित थे।
गौर करने योग्य है कि पिछली सुनवाई में कोर्ट ने बिजली बंद कराकर जांचा था कि कम रोशनी का प्रभाव कार्य में कैसे पड़ता है। कोर्ट ने अपने निर्णय में स्पष्ट किया है कि यह आदेश केवल उन याचिकाकर्ताओं पर लागू होगा, जिन्होंने तीन जून से पहले अपनी याचिकाएँ प्रस्तुत की हैं।