
भारत में IIT और NEET, दो प्रमुख प्रवेश परीक्षाएँ हैं, जो छात्रों के भविष्य को आकार देती हैं। IIT, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों में प्रवेश के लिए आवश्यक है, जो उच्च गुणवत्ता की इंजीनियरिंग और तकनीकी शिक्षा प्रदान करते हैं। दूसरी ओर, NEET, राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा, मेडिकल और डेंटल कॉलेजों में प्रवेश के लिए अनिवार्य है। हाल ही में, मोदी सरकार ने कोचिंग के क्षेत्र में महत्वपूर्ण सुधारों की घोषणा की है जिससे IIT और NEET की तैयारी कर रहे छात्रों को बड़ा लाभ होगा। यह निर्णय कोचिंग सेवाएँ के संबंध में लिया गया है, ताकि वे अपनी तैयारी में बेहतरी ला सकें। इस कदम से प्रतियोगिता में समानता और उत्कृष्टता को बढ़ावा मिलेगा।
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने विद्यार्थियों की कोचिंग पर निर्भरता को कम करने और कोचिंग से जुड़े मुद्दों पर विचार करने के लिए 9 सदस्यों की एक समिति का गठन किया है। यह समिति शासन को सुझाव देगी कि कैसे मौजूदा शिक्षण व्यवस्था में परिवर्तन किया जाए, ताकि छात्रों की कोचिंग पर निर्भरता में कमी आ सके। इस संदर्भ में हाल ही में केंद्र सरकार ने सूचना जारी की है।
समिति के अध्यक्ष होंगे डॉ. विनीत जोशी
समिति के अध्यक्ष उच्च शिक्षा विभाग के सचिव डॉ. विनीत जोशी होंगे। इसके साथ ही CBSE के अध्यक्ष, स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के संयुक्त सचिव, IIT मद्रास, IIT कानपुर, NIT त्रिची, NCERT के प्रतिनिधि, एक सदस्य केंद्रीय विद्यालय के स्कूल के प्रिंसिपल, एक नवोदय विद्यालय से, एक सदस्य निजी विद्यालय के प्रतिनिधि व उच्च शिक्षा विभाग के संयुक्त सचिव इस समिति में भाग लेंगे।
डमी संस्कृति का बढ़ा दौर
गौरतलब है कि पिछले दिनों देशभर के स्कूलों में डमी संस्कृति का प्रचलन बढ़ा है। छात्र स्कूल छोड़कर कोचिंग में अध्ययन करते हैं। उनका मानना है कि कोचिंग की तैयारी से ही प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता प्राप्त की जा सकती है।
शिक्षा में नवाचार कैसे होगा, सुझाएगी समिति
शिक्षा विशेषज्ञ देव शर्मा ने बताया कि सूचना के अनुसार नवगठित समिति वास्तव में स्कूली शिक्षा की उन कमियों का अध्ययन करेगी, जिनके कारण विद्यार्थियों को प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता के लिए कोचिंग संस्थानों पर निर्भर होना पड़ता है। स्कूली शिक्षा में रटने की प्रवृत्ति को समाप्त करने तथा इसे तर्क-आधारित, विश्लेषणात्मक एवं रुचिकर बनाने के लिए आवश्यक नवाचारों पर भी समिति विचार करेगी। समिति के द्वारा ‘डमी स्कूल संस्कृति’ के बढ़ते प्रभाव के कारणों का भी अध्ययन किया जाएगा तथा इस समस्या के संभावित समाधान पर भी विमर्श किया जाएगा।